Friday, January 1, 2016

नया साल 2016

आप सभी को नूतन वर्ष की बधाई से शुरू करना ही सही होगा.
जब कैलेंडर का आविष्कार हुआ ,कुछ लोगों ने दिन रात महीने वर्ष गिनने चालू किये, तो जब ये गिनती बदलती है, दुनिया उसका उत्सव मना रही है. हम तो भारतीय लोग हैं जो हर उत्सव को अपना लेते हैं और ये एक बड़ी अच्छी चीज है. जो लोग इसे पश्चिमी अन्धानुकरण करार देकर इसका विरोध करते हैं वे शायद भारत की विशाल हृदयता से अनजान हैं,सम्पूर्ण विश्व में सिर्फ भारतीय संस्कृति ऐसी रही है जिसने पूरे विश्व को अपना माना है,सबको समाहित किया है,खासकर यदि वह किसी प्रकार का उत्सव हो.

भारत के अंतरतम में सारे उत्सव प्रकृति से जुड़े हुए हैं, और हम अस्तित्व के साथ उत्सव में शामिल होते रहें हैं.तो आप और हम उन उत्सवों से भी दूर ना हों और हमारी आने वाली पीढ़ी भी इससे अनजान ना रहे ये जिम्मेदारी हम सब के कन्धों पर है.

जीवन हर पल गतिशील है, ठीक पिछले पल चीजें जैसी थीं वह अगले ही क्षण बदल चुकी होती हैं,हर स्वांस में हम बदल रहे होते हैं, हाँ ये बदलाव इतने न्यून होते हैं की हमें सब कुछ वैसा ही प्रतीत होता है.कहने का तात्पर्य ये की हर पल नूतन है,हर सांस नवीन, तो मेरे साथियों नये  वर्ष का उत्सव मनाएं ,जरुर मनाएं ,लेकिन याद रखें उसके बाद भी कुछ भी पुराना नहीं है, हर क्षण नवीन है,हर धड़कन नयी है, तो हर पल को भरपूर जियें, रोज नया साल मनाएं,

यहाँ हरिवंशराय की कविता में जीवन का गूढ़ अर्थ समझाया है :-

     एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
     एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला, 
     दुनियावालों किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखो..
     दिन को होली रात दिवाली रोज मानती मधुशाला ||

हर उगते सुबह का उत्सव मनाएं, प्रकृति को आत्मसात करें, हर शाम हर रात को सेलिब्रेट करें , सुख-दुःख अन्धकार-प्रकाश बसंत-पतझड़ सभी उसी के विभिन्न रंग हैं ,सब को आत्मसात कर जीवन का भरपूर आनंद लें ,यही मेरी शुभकामना है .
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आप का संदीप तिवारी
9584521233